श्री संतोषी चालीसा हिंदी और अंग्रेजी में

The Santoshi Chalisa

Shri Santoshi Chalisa In Hindi and English

श्री संतोषी चालीसा

संतोष की माता की प्रार्थना। श्री संतोषी चालीसा के बोल हिंदी और अंग्रेजी में। श्री संतोषी चालीसा को PDF और JPG में डाउनलोड करें।

श्री संतोषी चालीसा (अंग्रेजी)

दोहा

!! बंदो संतोषी चरण ऋद्धि सिद्धि दातार,
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार,
भगतन को संतोष दे संतोषी तव नाम,
कृपा क्रौ जगदम्ब अब्ब आया तेरे धाम !!

!! जय संतोषी मात अनुपम शांति दयेनि रूप मनोरम,
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा वेष मनहोर ललित अनूपा,
श्वेताम्बर रूप मनहारी माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी,
दिव्य स्वरूप आयत लोचन दर्शन से हो संकट मोचन !!

!! जय गणेश की सुता भवानी, ऋद्धि सिद्धि की पुत्री ज्ञानी,
आगम अगोचर तुम्हारी माया सब पर करो कृपा की छाया,
नाम अनेक तुम्हारे माता अखिल विश्व है तुमको ध्येयता,
तुमने अनेको रूप धरे, को कह सके चरित्र तुम्हारे !!

!! धाम अनेक कहा तक कहिए सुमिरन तब करके सुख लेहि,
विंध्याचल माई विंध्यवासिनी कटेश्वर सरस्वती सुहासिनी,
कलकते मै तू ही काली दुरुस्त नाशिनी महाकराली,
सम्हाल पूर बहुचरा कहति भगतजनो का दुःख मिटाति !!

!! ज्वाला जी माई ज्वाला देवी पूजत निताये भगत जन सेवी,
नगर बम्बई की महारानी महा लक्ष्मी तुम कल्याणी,
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो सुख दुख सब की साक्षी तुम हो,
राजनगर में तुम जगदम्बे बनी भद्रकाली तुम अम्बे !!

!! पावागढ़ में दुर्गा माता अखिल विश्व तेरा यश गाता,
काशी पुराधीश्वरी माता आनपूर्णा नाम सुहाता,
सर्वानन्द करो कल्याणी तुम्हीं शारदा अमृत वाणी,
तुम्हारी महिमा जल में थल मैं, दुख दारिद सब मेतो पल मैं !!

!! जीते ऋषि और मुनि नारद देव और देवेषा,
इस जगती के नर और नारी धेयां धरत है मात तुम्हारी,
जपर कृपा तुम्हारी होती वह पाता भगत का मोती,
दुःख दारिद संकट मिट जाता धेयां तुम्हारा जो जन धेयाता !!

!! जो जन तुम्हारी महिमा दी धेयां तुम्हारा कर सुख पावे,
जो मन राखे सुध भावना, ताकी पुराण करो कामना,
कुमति निवारी सुमति की दात्री जयति जयति माता जगधात्री,
शुक्रवार का दिन सुहावन जो व्रत करे तुम्हारा पावें !!

!! गुड़ छोले का भोग लगावे कथा तुम्हारी सुने सुनावे,
विधिवत पूजा करे तुम्हारी फिर परसाद पावे शुभकारी,
शक्ति सम्राट हो जो धनको, धन दक्षिणा दे विप्रन को,
वे जगती के नर और नारी मनवंचित फल पावे भारी !!

!! जो जन शरण तुम्हारी जावे, सो निश्चय भाव से तर जावे,
तुम्हारो धेयां कुमारी ध्येयवे निश्चये मनवंचित वर पावे,
साध्वा पूजा करे तुम्हारी अमर सुहागन हो वह नारी,
विधवा धर के धेयाँ तुम्हारे भवसागर से उतरे पर !!

!! जयति जयति जय संकट हरनी विघ्न विनाशन मंगल करनी,
हम पर संकट है अति भारी वेगी खबर लो मात हमारी,
निश दिन धेयां तुम्हारो धेयाता देह भगत वर हम को माता,
ये चालीसा जो नित दीवे सो भवसागर से दूर जावे !!

संतोषी चालीसा (हिन्दी)

ll दोहा ll
!! बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार,
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार,
भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम,
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम !!

!! जय सन्तोषी मात अनाम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम,
सुन्दर वर्ण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा,
श्वेताम्बर रूप मनहारी। माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी,
दिव्य स्वरूपा आयटम लोचन। दर्शन से हो संकट मोचन !!

!! जय गणेश की सुता भवानी। रिद्धि-सिद्धि की पुत्री ज्ञानी,
अगम अगोचर तुम्हारी माया। सब पर करो कृपा की छाया,
नाम अनेकतु माता। अखिल विश्व है तुमको ध्याता,
बहुतों रूप धरे। को कहि सके चरित्रतुम्हारा !!

!! धाम अनेक कहाँ तक कहिये। सुमिरन तब करके सुख लहिये,
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी। कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी,
कलकत्ते में तू ही काली। दुष्ट नाशिनी महाकराली,
सम्भल पुर बहुचरा कहाती। भक्तों का दुःख निवारण!!

!! ज्वाला जी में ज्वाला देवी। पूजत नित्य भक्त जन सेवी,
नगर बम्बई की महारानी। महा लक्ष्मी तुम कल्याणी,
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो। सुख दुःख सबके साक्षी तुम हो,
राजनगर में तुम जगदम्बे। बनी भद्रकाली तुम अम्बे !!
!! पावागढ़ में दुर्गा माता। अखिल विश्व तेरा यश गता,
काशी पुराधीश्वरी माता। अन्नपूर्णा नाम सुहाता,
सर्वानन्द करो कल्याणी। तुम्हारी शारदा अमृत वाणी,
तुम्हारी महिमा जल में थल में। दुःख दरिद्र सब मेटो पल में !!

!! जेते ऋषि और मुनीषा। नारद देव और देवेशा,
इस जगती के नर और नारी। ध्यान धरत हैं माता तेरे,
जापर कृपा तेरी होती। वह पाता भक्ति का मोती,
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता। ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता !!

!! जो जन तुम्हारी महिमा गावै। ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै,
जो मन राखे शुद्ध भावना। ताकी पूर्ण करो कामना,
कुमति निवारी सुमति की दात्री। जयति जयति माता जगधात्री,
शुक्रवार का दिन सुहावन। जो व्रत करे तुम्हारा पावन !!

!! गुड़ छोले का भोग लगावै। कहानी तेरे सुने सुनवै,
विधिवत पूजा करे तेरे। फिर प्रसाद पावे शुभकारी,
शक्ति- समरथ हो जो धनको। दान- दक्षिणा दे विप्रन को,
वे जगती के नर और नारी। मनवांछित फल पावें भारी !!

!! जो जन शरण तुम्हारे जावे। सो निश्चित भव से तर जावे,
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे। निश्चय मनवांछित वर पावै,
सदा पूजा करे तेरे। अमर सुहागिन हो वह नारी,
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा। भवसागर से उतर पर !!

!! जयति जयति जय संकट हरणी। विघ्न विनाशन मंगल करनी,
हम पर संकट बहुत भारी है। वेगी खबर लो माट हमारी,
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता। देह भक्ति वर हम को माता,
यह चालीसा जो नित गावे। सो भवसागर से तर जावे!!

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