श्री राम चालीसा हिंदी और अंग्रेजी में

The Shri Ram Chalisa

Shri Ram Chalisa In Hindi and English

श्री राम चालीसा

श्री राम की प्रार्थना हिंदी और अंग्रेजी पाठ में। श्री राम चालीसा को PDF और JPG में डाउनलोड करें।

श्री राम चालीसा (अंग्रेजी)

दोहा

!! गणपति चरण सरोज गहि ल चरणोदक धरि भाल,
लिखओ विमल रामावली ल सुमिरि अंजनीलाल,
राम चरित वर्णन करो l रामहिं हृदय उन्माद,
मदन कदन राल राखी शिर ल मन कहाँ तप मिटाई !!

चौपाई

!! राम रामपति रघुपति जय जय l महा-लोकपति जगपति जय जय,
रजत जनक दुलारी जय जय महानंदिनी प्रभु जय जय,
रातिहुँ दिवस राम धुन जाहिं l मगन रहत मन, तन दुख नाहिं,
राम सने जासु उर होई l महा भाग्यशाली नर सोई !!

!! राक्षस दल संहारी जय जय l महा पतित तनु तारी जय जय,
राम नाम जो निराश गावत, मन वंचित फल निश्चित पावत,
रामयुद्धसार जेहि कर सजात ल मन मनोज लाखि कोथु लाजत,
राखु लाज हमारी जय जय l महिमा अगम तुम्हारी जय जय !!

!! राजीव नयन मुनिन मन मोहे ल मुकुट मनोहर शिर पर सोहे,
राजित मृदुल गात शुचि आन्न l मकरकृत कुण्डल दुहु कानन,
रामचन्द्र सर्वोत्तम जय जय l मर्यादा पुरुषोत्तम जय जय,
राम नाम गुण अगन अनंता l मनन करत शरद श्रुति संता !!

!! रति दिवस ध्यावहु मन रामा l मन रंजन भजन भव दामा,
राजभवन, संग में नाहीं जाहे, मन के ही मन में रहि जाहे,
रामहि नाम अनंत सुख दइहे l मन गढ़ंत गप्प काम ना आहे,
राम कहानी रामहि सुनहिं l महिमा राम तबे मन गुणहे !!

!! रामहि महे जो नित चित राखिए l मधुकर सरिस मधुर रस चाखिए,
राग रंग कहु कीर्तन ठनि एल ममता तेयागी एक रस जानि,
राम कृपा तिन्ही पर हवै l मन वंचित फल अभिमत पहे,
राक्षस दमन कियो जो शहन में, महा बहिन बानी विचियो वन में !!

!! रावणदि हति गति, दै दीन्हो l महि रावणहिं सिया वध कीन्हो,
राम बाण सुत सुरसरी धरा, महापत केहु गति दे डारा,
राम रमित जग अमित अनंता l महिमा कहि न साकाहि श्रुति संता,
राम नाम जोई देत भुलाई, महा निशा सोई लेत बुलाई !!

!! राम बिना उर होत अन्धेरा ल मन सोहि दुख शत घनेरा,
रामहि आदि अनादि कहावत l महावृति शंकरगुण गावत,
राम नाम लहि ब्रह्मा अपारा l महीकर भर शेष शिर धरा,
राखी राम हिये शम्भू सुजाना l महा घोर विष कीन्हो पाना !!

!! रामहि महि-लखी लेख महेशु l महा पूज्ये करि दियो गणेशु,
राम रमित रस घटित भगति घट l मन के भजतहि खुलत प्रेम पत,
राजित राम जिन्ही उर अंतर l महावीर सम भगत निरंतर,
रामहि लेवत एक सहारा, महा सिंधु कपि कीन्हेसी पारा !!

!! राम नाम रसना रस शोभा l मर्दन काम क्रोध मद लोभ,
राम चरित भजि भयो सुगेता l महादेव मुक्ति के दाता,
रामहि जपत मित्त भव शुला, राम मंत्र यह मंगल मूला,
राम नाम जपी जो न सुधारा l मन पिशाच सो निपट गंवारा !!

!! राम की महिमा कह लग गऊ ल मति मालिन मन पर न पाऊ,
रामवलि उस लिखी चालीसा l मति अनुसार धेयां गौरीसा,
रामहि सुन्दर रचि रस पगा l मठ दुर्वासा निकट प्रयागा,
राम भगत यही जो नित ध्यावे l मन वंचित फल नीचे पावहि !!

दोहा
!! राम नाम नित भजौ मन। ल रोथु दिन चित लाई,
ममता मत्सर मलिन्ता.ल मनस्ताप मिट्टी जाई,
राम की तिथि बुध रोहिणी,l रामावली किया भस,
मन सहस्त्र भुजजु वग्ग समेट,ल मगसर सुन्दरदास !!


राम चालीसा (हिन्दी)

दोहा
!! गणपति चरण सरोज गहि । चपोदक धरि भाल,
लिखौं विमल रामावलि । सुमिरि अंजनीलाल,
राम चरित वर्णन करौं । रामहिं हृदय माने,
मदन कदन रत राखि सिर । मन कहँ तपस्वै !!

चौपाई
!! राम रमापति रघुपति जय जय । महा लोकपति जगपति जय जय,
राजित जनक दुलारी जय जय । महिनन्दिनी प्रभु प्यारी जय जय,
रातिहुं दिन राम धुन जाहीं । मगन रहत मन तन दुखा नहीं,
राम सनेह जासु उर होई । महा भाग्यशाली नर सोई !!

!! राक्षस दल संहारी जय जय । महा पतित तनु तारी जय जय,
राम नाम जो निषदिन गावत । मन पैट्रियट फल निश्चित पावत,
रामयुद्धसार जेहिं कर साजत । मन मनोज लखि कोटिहुं लाजत,
राखहु लाज हमारी जय जय । महिमा अगम आपकी जय जय !!

!! राजीव नयन मुनिन मन मोहै । मुकुट मनोहर सर पर सोहै,
राजित मृदुल गात शुचि आनन । मकराकृत कुण्डल दुहुँ कानन,
रामचन्द्र सर्वश्रेष्ठ जय जय । मर्यादा पुरुषोत्तम जय जय,
राम नाम गुण अगन अनन्ता । मनन करत शारद श्रुति सन्ता !!

!! रात्रि दिवस ध्यावहुमन रामा । मन रंजन भंजन भव दामा,
राज भवन संग में नहीं जाहें । मन के ही मन में रहि जाहें,
रामहिं नाम अन्तःसुख दैहें । मन गढ़न्त गप काम न ऐहें,
राम कथा रामहिं सुनिहें । जय राम तबै मन गुनिहें !!

!! रामहि महँ जो नित चित राखिहें । मधुकर सरिस मधुर रस चाखिहें,
राग रंग कहुँ कीर्तन ठानहिं । ममता त्यागी एक रस जानीं,
.राम कृपा तिन्हीं पर होइहें । मन फ्लाइट फल अभिमत पाहें,
राक्षस दमन कियो जो क्षण में । महा बह्नि बनी विचार्यो वन में !!

!! रावणादि हति गति दै दिन्हों । महिरावणहिं सियहित वध कीन्हों,
राम बाण सुत सुरसरिधारा । महापातकिहुँ गति दै दारा,
राम रमित जग अमित अनन्ता । महिमा कहि न सकहिं श्रुति सन्ता,
राम नाम जोई देत दुखी । महा निशा सोई लेत बुलाई !!

!! राम बिना उर होत अन्धकार । मन सोही दुख सहत व्हारा,
रामहि आदि अनादि कहावत । महाव्रती शंकर गुण गावत,
राम नाम लोहि ब्रह्म अपारा । महिकर भार शेष सिर धारा,
राखि राम हिय शम्भु सुजाना । महा घोर विष किन्ह्यो पाना !!

!! रामहि महि लखि लेख महेशु । महा पूज्य करि दियो गणेशु,
राम रमित रस घटित भक्ति घट । मन के भजतहिं खुलत प्रेम पट,
राजित राम जिन्हीं उर अन्तर । महावीर सम भक्त निरन्तर,
रामहि लेवत एक सहारा । महासिंधु कपि कीन्हेसि पारा !!

!! राम नाम रसना रस सोभा । मर्दन काम क्रोध मद लोभा,
राम चरित भजि भयो सुज्ञाता । महादेव मुक्त्ति के दाता,
रामहि जपत मित्त भव शूला । राममंत्र यह मंगलमुला,
राम नाम जपि जो न सुधारा । मन पिशाच सो दफन गंवारा !!

!! राम की महिमा कहँ लग गाऊँ । मति मालिन मन पार न पाऊँ,
रामावली उस लिखि चालीसा । मति अनुसार ध्यान गौरीसा,
रामहि सुन्दर रचि रस पागा । मठ दुर्वासा निकट प्रयागा,
रामभक्ति यही जो नित ध्यावहिं । मानवच्छित फल अवश्य पावहिं !!

दोहा
!! राम नाम नित भजहु मन । रातिहुँ दिन चित लाई,
ममता मत्सर मलिन्ता । मनस्ताप मिटि जाई,
राम का तिथि बुध रोहिणी । रामावली किया भास,
मान सहस्त्र भजु दृग सहित । मगसर सुन्दरदास !!

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