श्री भैरव चालीसा
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भारव चालीसा (अंग्रेजी)
दोहा
!! श्री गणपति, गुरु प्रेम सहिता धारी मठ,
चैसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ,
श्री भैरव संकट मंगा करण कृपा,
श्याम वरन विक्र वपु ओचन आ विशा !!
!! जय जय श्री कै के आ जयति जयति काशी- कुत्वा,
जयति बटुक भैरव भयरि जयति का भैरव बाकरी,
जयति नाथ भैरव विख्याता जयति सर्व भैरव सुखदाता,
भैरव रूप कियो शिव धरण भव के भर उतारन !!
!! भैरव रूप सुनि ह्वै भय दूरी सब विधि हो कामना पूरी,
शेष महेश आदि गुण गयो काशी-कोटवा कहायो,
जटा जुट शिर चन्द्र विराजत बा, मुकुट, बिज्यथ सजात,
कटि करधनी घुंघरू बाजत दर्शन करत सका भय भजत !!
!! जीवन दान दास को दिनों किन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो,
वासी रसना बानी सरद- कै दीन्हो वर राखो मम ऐ,
धन्य धन्य भैरव भय भंजन जय मनुरंजन खा दा भंजन,
कर त्रिशु डमरू शुचि कोड़ा कृपा कटाक्ष सुयश नहीं थोड़े !!
!! जो भैरव निरभए गुण गावत अष्ट सिद्धि नव निधि फ वावत,
रूप विसा कथिं दुःख मोचन क्रोध करा आ दुःख ओचन,
आगिनत भूत प्रेत संग दोत बम बम बम शिव बम बम नाव,
रुद्रके कै के आ महा कहू के हो आ !!
!! बटुक नाथ हो का गंभीर श्वेत, रक्त अरु श्याम शेयरर,
करत तिन्हु रूप प्रकाशा भारत शुभंकर कहँ शुभ आशा,
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन व्याघ्र आकर्षण शुचि नर्म सुआनन,
तुमहि जय काशीहि जन ध्यावहि ईश्वरनाथ कहँ दर्शन पावन्ह !!
!! जय प्रभु सहारा सुनन्द जय, जय उन्नत हर उमानंद जय,
भीम त्रियोचन श्वान साथ जय वैजनाथ श्री जगतनाथ जय,
महा भीम भीषण शरर जय रुद्र त्रयम्बक धीर वीर, जय
अश्वनाथ जय प्रेमनाथ जय स्वनारुढ़ सायचन्द्र नाथ जय !!
!! निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय गहत नाथ नाथ हाथ जय,
त्रेश भूतेश चंद्र जय क्रोध वसत अमरेश नंद जय,
श्री वामन नकुशे चन्द जय कृत्यौ किरत प्रचण्ड जय,
रुद्र बटुक क्रोधेश का धर चक्र तुंड दश पाणिव्य दार !!
!! करि मद पान शम्भू गुंगावत चौंसठ योगिनी संग नचावत,
करत टपक जन पर बहु धंगा काशी कोटवा अड़बंगा,
दे का भैरव जब सोता नासे पाप मोटा से मोटा,
जानकर निरमा होए शररा मिटे सका संकट भव पीरा !!
!! श्री भैरव भूतों के राजा, बढ़ा हरत करत शुभ काजा,
ऐयादी के दुख निवारणो सदा कृपा करि काज संहारो,
सुन्दर दास सहित अनुराग श्री दुर्वासा निकट प्रयाग,
“श्री भैरव जी की जय” एक्यो सका कामना पूरन देख्यो !!
दोहा
!! जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट तार कृपा दास पर कीजे शंकर के अवतार,
जो ये चैसा पड़े प्रेम सहित सात बार उस पर सर्वानंद हो, वैभव बड़े अपार !!
श्री भैरव चालीसा (हिंदी)
दोहा
!! श्री गणपति, गुरु गौरीपद प्रेम सहित धारी मठ,
चालीसा वंदन करौं श्री शिव भैरवनाथ,
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल,
श्याम वर्ण विकराल वपु लोचन लाल विशाल !!
!! जय जय श्री काली के लाला जयति जयति काशी कुटवाला,
जयति 'बटुक भैरव' भयहारी जयति 'काल भैरव' बलकारी,
जयति 'नाथ भैरव' विख्याता जयति 'सर्व भैरव' सुखदाता,
भैरव रूप कियो शिव धारण भव के भार उतरने कारण !!
!! भैरव राव सुनी ह्वाई भय दूर सब विधि होय कामना पूर्ण,
शेष महेश आदि गुण गायो काशी कोतवाल कहलायो,
जटा-जट शिर चन्द्र विराजत बाला, मुकुट, बिजयथ साजत,
कटि करधनी घुंघरू बाजत दर्शन करत सकल भय भजत !!
!! जीवन दान दास को दीन्हो कीन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो,
बसी रसना बनी सारद काली दीन्हो वर राख्यो मम लाली,
धन्य धन्य भैरव भय भंजन जय मनरंजन खल दल भंजन,
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा कृपा कटाक्ष सुयश नहीं थोड़ा !!
!! जो भैरव निर्भय गुण गावत अष्ट सिद्धि नवनिधि फल वावत,
रूप विशाल कठिन दुःख मोचन क्रोध कराल लाल दुखों लोचन,
अगणित भूत प्रेत संग दोलत बं बं बं शिव बं बं बोलत,
रुद्रकाय काली के लाला महा कलाहुं के हो लाला !!
!! बटुक नाथ हो काल गंभीर श्वेत रक्त अरु श्याम शरीर,
करत तिन्हुम रूप प्रकाशा भारत सुभक्तन कहं शुभ आशा,
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन व्याघ्र चर्म शुची नर्म सुआनन,
तुम्ही जाई काशिही जन ध्यावही विश्वनाथ कहं दर्शन पावही !!
!! जा प्रभु संहारक सुनन्द जा जा उन्नत हर उमानंद जय,
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय बैजनाथ श्री जगतनाथ जय,
महाभीम भीषण शरीर जय रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय,
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय स्वनारुढ़ स्याचन्द्र नाथ जय !!
!! निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय घट नाथ नाथ हाथ जय,
त्रिशलेश भूतेश चन्द्र जय क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय,
श्री वामन नकुलेश चन्द जय, कृत्याउ कीरति प्रचण्ड जय,
रुद्र बटुक क्रोधेश काल धर चक्र तुंड दश पाणिव्याल धर !!
!! करी मद पान शम्भू गुणगावत चौंसठ योगिनी संग नचावत,
करत पुण्य जन पर बहुभावा काशी कोतवाल अड़बंगा,
देय काल भैरव जब सोता नसै पाप मोटा से मोटा,
जानकर निर्मल होय शरीरा मिटे सकल संकट भव पीरा !!
!! श्री भैरव भूतों के राजा बाधा हरत करत शुभ काजा,
ऐलादी के दुःख निवारणो सदा कृपा करी काज सम्भार्यो,
सुन्दर दास सहित अनुरागा श्री दुर्वासा निकट प्रयागा,
श्री भैरव जी की जय लेख्यो सकल कामना पूर्ण देख्यो !!
दोहा
!! जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट तार,
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार,
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार,
उस पर सर्वानंद हो, वैभव बड़ा अपार !!