महालक्ष्मी माता आरती
महालक्ष्मी आरती (अंग्रेजी)
!! जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी,
रहती हो सथुलो में सूक्ष्मरूप लिन्हि,
करवीरपूर्ववासिनी, सुरवर्मुनीमाता,
पुरहर वरदायी तू मुरहर प्रियकांता !!
!! धाता को जन्म दिया हिरनी नाभि में,
शेष नहीं सूक्ष्म वर्णन करने में,
मातुलिंग गदा खेतक रविकिरनी,
झलझल सुवर्ण – वटी पीयूषसर्पणि !!
!! मणिकृष्णसुरंगवसना मृगन्यानि,
शिश्करवदना राजस मदन की जननी,
ताराशक्ति आगमेया शिवभजका गौरी,
सांख्य बोलते प्रकृति निर्गुण अविकारी !!
!! निगमागम का सार निजबीज गायत्री,
निज धर्मचरण से प्रकटे पद्मावती,
सरिता तू अमृता तू अध की निवारी,
दुरघट असुर निहिंतृ भवभाव निस्तारी !!
!! प्रणत जानो की मैया दूर करो माता,
तव चिन्मय रूप भी देखते ही बनाया,
कर्मोंकी मम रेखा दुषित जो होगी,
वीरचिकित्सक जो विधान मैं हु दुर्भागी !!
!! मिटाइये सबको नई जैसी रेखा,
चरण धूलिसे निर्मल करो भागरेखा !!
महालक्ष्मी आरती (हिंदी)
!! जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी,
रहते हो स्थूलों में सूक्ष्मरूप लिये,
करवीरपुरवासिनी, सुरवरमुनीमाता,
पुरहर वरदायि तू मुरहर प्रियकांता !!
!! धाता को जन्म दिया हरिणी नाभि में,
शेष वर्णन करने में सक्षम नहीं,
माटुलिंग गदा खेतक रविकिरणी,
झलझल सुवर्ण – वाती पियूषसरपानी !!
!! माणिकरसना, सुरन्वासना, मृगनयनी,
शशिकरवदना, राजस मदन की जननी,
ताराशक्ति अगम्या शिवभजकां गौरी,
सांख्य प्रकृति निर्गुण अवकारी !!
!! निगमागम का सार निजबीज गायत्री,
निज धर्मचरण से प्रकटे पद्मवतीं,
सरिता तू अमृता तू अध को निवारी,
दुर्गत असुर निहन्त्री भवभव निस्तारी !!
!! प्रणत जनों कि माया दूर करो माता,
तव चिन्मय रूप भी बनता ही,
कर्मोक़ी मम रेखा दूषित जो होगी,
विरंचिकृत, जो विधान मैं हूँ दुर्भागी !!
!! मिटा दीजिए सब नई लेखन लाइन,
चरण धूलिसे निर्मल करो भाग्यरेखा !!