केतु की महादशा
अनुकूल होने पर:
इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति, गांव, शहर या देश का आधिपत्य, विदेश यात्रा, विविध सुख-सुविधाएं।
प्रतिकूल स्थिति में:
कारावास, प्रियजनों की हानि, विस्थापन, मानसिक पीड़ा, बीमारी, नीच लोगों की संगति।
टिप्पणियाँ:
तीसरे , छठे या ग्यारहवें भाव में केतु दशा के आरंभ में पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि, दशा के मध्य में भय तथा दशा के अंतिम भाग में दूर की यात्रा का कारण बनता है।
केतु की महादशा में अन्तर्दशा
केतु की महादशा में केतु की अन्तर्दशा
अनुकूल
धन और पशुधन की प्राप्ति, राजा की कृपा, संतान के लिए अच्छा, भूमि, गांव, मकान आदि की प्राप्ति।
टिप्पणी:
केतु का अनुकूल स्वभाव होने के बावजूद, केतु का अपने ही दशा में होना कुछ मानसिक तनाव का कारण बनता है।
हानिकर:
हृदय रोग, अपमान, धन और पशुधन की हानि, मन की चंचलता, खराब स्वास्थ्य और प्रियजनों की हानि।
केतु की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा
अनुकूल
राजा की कृपा, अचानक धन प्राप्ति, खोई हुई संपत्ति और पद की प्राप्ति, वाहन प्राप्ति, पवित्र जल, समुद्र आदि में स्नान, भूमि और गांवों पर आधिपत्य, अच्छा स्वास्थ्य, विविध सुख-सुविधाएं।
हानिकर:
अचानक झगड़ा, धन-धन की हानि, सिर व नेत्र रोग, हृदय रोग, अपमान, शारीरिक व मानसिक पीड़ा।
केतु की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा
अनुकूल
धन प्राप्ति, राजा द्वारा यश, शुभ घटनाएँ, इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति, अच्छा स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, छोटे गाँवों पर आधिपत्य।
हानिकर
शासक से भय, माता-पिता की हानि, विदेश यात्रा, सांप और चोरों का भय, आकस्मिक चोट, शासक से दंड, धन की हानि और असमय स्वास्थ्य खराब होना।
केतु की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा
अनुकूल
राजा से अनुग्रह, अत्यधिक उत्साह, भूमि और मकान की प्राप्ति, व्यवसाय से लाभ, वाहन प्राप्ति, पुण्य कार्यों की ओर झुकाव, किसी प्रिय मित्र का आगमन, कार्यसिद्धि, विदेश यात्रा, अच्छा स्वास्थ्य।
हानिकर
मानसिक पीड़ा, कार्यों में बाधा, माता-पिता से वियोग, मवेशियों की हानि, निराधार आशंकाएं, असामयिक मृत्यु।
केतु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा
अनुकूल
गांव, भूमि और मवेशियों से लाभ, राजा के माध्यम से पद में वृद्धि।
हानिकर
अकाल मृत्यु का भय, विदेश में दुःख, चोरों और शासक से परेशानी, मूत्र रोग, मधुमेह, ज्वर रोग और विष का भय।
केतु की महादशा में राहु की अंतर्दशा
अनुकूल
अचानक अत्यधिक धन लाभ, म्लेच्छ शासक से लाभ, भूमि, मकान और गांव की प्राप्ति।
हानिकर
अत्यधिक पेशाब आना, शारीरिक दुर्बलता, ठंड और कंपकंपी के साथ बुखार, विषाक्तता, अचानक आपदाएं।
केतु की महादशा में बृहस्पति की अन्तर्दशा
अनुकूल
धन प्राप्ति, उत्साह में वृद्धि, समृद्धि उत्सव, विदेश यात्रा, प्रियजनों की मदद।
हानिकर
चोर, सर्प, आकस्मिक चोट, पत्नी व बच्चों से वियोग, विस्थापन, असमय स्वास्थ्य का भय।
केतु की महादशा में शनि की अन्तर्दशा
अनुकूल
सभी कार्यों की सिद्धि, युद्ध में विजय, अनेक सुख-सुविधाएँ।
हानिकर
शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा, धन एवं पशुधन की हानि, निराधार भय, घर से विस्थापन, यात्रा में चोरी का भय, आलस्य, अपमान, माता-पिता की हानि, असामयिक मृत्यु।
केतु की महादशा में बुध की अन्तर्दशा
अनुकूल
पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि, पवित्र भजन सुनना, दान-पुण्य, धार्मिक कार्य, भूमि एवं संतान प्राप्ति, मनचाही संगति, भाग्य में वृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, अच्छा भोजन, व्यापार में लाभ, तीर्थ यात्रा।
हानिकर
दूसरे के घर में निवास, धन, वाहन और वस्त्र की हानि, पत्नी और बच्चे को बीमारी, राजा से भय, अकाल मृत्यु।