आमलकी एकादशी के इस दिन का नाम 'आंवला' वृक्ष से लिया गया है। आमलकी एकादशी का दिन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है जिसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार 'फाल्गुन' महीने में 'एकादशी' के रूप में जाना जाता है। अन्य 'एकादशियों' की तरह आमलकी एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन 'आंवला' वृक्ष की पूजा की जाती है।
आमलकी एकादशी का इतिहास क्या है?
प्राचीन काल में चित्रसेन नामक एक राजा था। उसके राज्य की प्रजा तथा राजा स्वयं भी एकादशी का व्रत तथा अनुष्ठान पूरी श्रद्धा तथा नियम से करते थे। एक दिन जब राजा शिकार के लिए जंगल में गया तो वह रास्ता भूल गया तथा उसके भाग्य को भारी नुकसान हुआ।
अचानक जंगल में जंगली कबीलों ने उन पर हमला कर दिया, लेकिन उनके सभी हथियार राजा चित्रसेन पर कोई असर नहीं कर पाए। यह देखकर आदिवासी लोग हैरान रह गए। लगातार कोशिशों और हमलों के बाद राजा ज़मीन पर गिर पड़े और बेजान हो गए। यह आदिवासी लोगों की अनदेखी किस्मत थी, लेकिन अचानक राजा के शरीर से एक दिव्य प्रकाश निकला और हमलावरों का वध कर दिया।
राजा के लिए भी यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसके सभी शत्रु मर चुके हैं। यह 'एकादशी' व्रत करने की उसकी भक्ति का सौभाग्य या प्रभाव है जिसने उसे बुरे भाग्य से ऊपर उठने में मदद की। उस दिन के बाद से, आमलकी एकादशी मनाई जाती है।
आमलकी एकादशी पूजन कैसे करें?
इस दिन भक्त 'एकादशी' के सूर्योदय से लेकर अगले दिन 'द्वादशी' के सूर्योदय तक उपवास रखते हैं। आमलकी एकादशी के दिन 'आंवला' वृक्ष और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु 'आंवला' वृक्ष में निवास करते हैं। जो व्यक्ति पूरे दिन उपवास नहीं रख सकता है, वह आंशिक उपवास या आधे दिन का उपवास रख सकता है। अनुष्ठान के अनुसार भक्तों को आमलकी एकादशी के दिन केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए। यह दिन भगवान विष्णु की भक्ति भावना से पूजा करके उनका आशीर्वाद पाने के लिए अत्यंत शुभ दिन है।
अनुष्ठानों के विभाजन के रूप में, आमलकी एकादशी पर व्रत रखने वाले भक्त सबसे पहले पवित्र स्नान करते हैं और उसके बाद आंवले के पेड़ पर जल चढ़ाते हैं। इसके साथ ही, आमलकी एकादशी अनुष्ठान के अनुसार धूपबत्ती और फूलों का भी उपयोग किया जाता है। पूजा करने के बाद, भक्त 'पंडित' को कपड़े और कुछ अन्य चीजें भेंट करते हैं।
आमलकी एकादशी के मंत्र क्या हैं?
भक्त इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। यह भगवान विष्णु का सबसे शक्तिशाली मंत्र है।
श्री विष्णु मूल मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”
इस मंत्र का अधिक से अधिक समय तक जाप करने से अधिक और बेहतर परिणाम मिलते हैं। आमलकी एकादशी के दिन व्रत रखकर और इस मंत्र या विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करके भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की कृपा आसानी से प्राप्त की जा सकती है।
आमलकी एकादशी पर कौन सी वस्तुएं दान की जाती हैं?
यह एक शुभ दिन है और यदि भक्त पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखता है और गरीबों को गाय, कपड़े, फल और मिठाई दान करता है तो उसे निश्चित रूप से आशीर्वाद प्राप्त होता है।